सदाचार पर निबन्ध | Essay on Good Behaviour in Hindi

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सदाचार पर निबन्ध | Essay on Good Behaviour in Hindi!

कोई आपकी ईमानदारी, आपकी सच्चाई, आपकी बुद्धिमत्ता अथवा आपकी अच्छाई के बारे में नहीं जान पाता, जब तक आप अपने कार्य द्वारा उदाहरण प्रस्तुत न करें । प्रत्येक परिवार तथा उसके सदस्य एक समाज के अंग हैं । उस समाज से सम्बन्धित कुछ नियम तथा मर्यादाएँ हैं ।

इन मर्यादाओं का पालन करना प्रत्येक व्यक्ति के लिए किसी न किसी सीमा तक अनिवार्य होता है । सत्य बोलना, चोरी न करना, दूसरों का भला सोचना और करना, सबसे प्रेमपूर्वक व्यवहार करना तथा स्त्रियों का सम्मान करना और उनकी ओर बुरी नजर न डालना आदि कुछ ऐसे गुण हैं जो सदाचार के अन्तर्गत आते हैं । सदाचार का सार यह है कि, व्यक्ति अन्य व्यक्तियों की स्वतन्त्रता का अतिक्रमण किये बिना अपना गौरव बनाये रहे ।

सदाचार का अर्थ है उत्तम आचरण । सदाचार दो शब्दों से मिलकर बना है – सत + आचार । सदाचार शब्द में सत्य आचरण की ओर संकेत किया गया है । ऐसा आचरण जिस में सब सत्य हो और तनिक भी सत्य न हो । जिस व्यक्ति में सदाचार होता है उसे सँसार में सम्मान मिलता है ।

सदाचार की चमक के आगे सँसार के हर प्रकार की धन दौलत की चमक फीकी है । सदाचार एक ऐसा अनमोल हीरा है जिसकी कीमत नहीं आँकी जा सकती है । ईसा मसीह, मुहम्मद साहब, गुरू नानक, स्वामी दयानन्द सरस्वती, रवीन्द्र नाथ टैगोर, ईश्वर चन्द विद्यासागर, मार्टिन लूथर तथा महात्मा गांधी के पास कोई धन दौलत तो नहीं थी। किन्तु वे बादशाह थे ।

उन लोगों के पास सदाचार रूपी अनमोल हीरा था । जब वे जीवित थे तो उन्हें पूरे विश्व का सम्मान प्राप्त था । अपने सदाचार तथा सद्व्यवहार के गुण के कारण वे संसार में सदैव के लिये अमरत्व पा गये । जहाँ सदाचार मनुष्य को सम्मान दिलाता है, वहीं दुराचार के कारण मनुष्य को घृणा मिलती है । भारत ही नहीं अपितु पूरे विश्व में राम की पूजा होती है ।

राम जैसे सदाचारी का उदाहरण ससार में नहीं मिलता । इसके विपरीत रावण जगत प्रसिद्ध दुराचारी था । आज भी संसार उससे पूणा करता है और इस घृणा की अभिव्यक्ति हर वर्ष रावण का पुतला जलाकर की जाती है । जहाँ दुराचारी व्यक्ति की आयु अल्प होती है और वह सदैव रोगग्रस्त रहता है वहाँ सदाचारी व्यक्ति स्वस्थ एवं प्रसन्नचित्त रहता है और दीर्घ आयु को प्राप्त होता है ।

ADVERTISEMENTS:

सदाचारी में सहिष्णुता, क्षमा, संयम, अहिंसा और धैर्य आदि गुण होते हैं, जिनके कारण वह कभी भी तनावग्रस्त नहीं रहता और सदैव आनन्द में रहता है, क्योंकि दुराचारी व्यक्ति सदैव पाप में संलिप्त रहता है इस कारण वह रोगग्रस्त, व्याकुल तथा दु:खी रहता है ।

सदाचारी बनना कोई सरल कार्य नहीं है । सदाचारी बनने के लिए घोर प्रयत्न करने पड़ते हैं । सदाचार के वजि बचपन में ही डाले जाते हैं । इसलिए भारतीय जीवन शैली में ब्रह्मचर्य आश्रम की व्यवस्था है ।आठ से पच्चीस वर्ष की आयु तक बालक गुरू की छत्र-छाया में रहकर शिक्षा ग्रहण करता है और सदाचार के गुणों पर चलने का अभ्यास करता है ।

वह विद्वान लोगों की संगति करता है । अच्छी तथा उपयोगी पुस्तकें पड़ता है और बुरे वातावरण से दूर रहता है क्योंकि अच्छे चरित्र के निर्माण वातावरण तथा संगति एक बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं । सत्संगति अगर एक वृक्ष है तो सदाचार उस वृक्ष का फल । इसलिये बुरी संगति की अपेक्षा अकेला होना अधिक अच्छा है ।

एक तरफ सत्संगति तो दूसरी ओर अभ्यास तथा प्रभु की सहायता से धैर्य, संतोष, सहिष्णुता, अहिंसा, संयम, क्षमा, मन और वचन से एकता, विद्या, विनम्रता तथा क्रोध न करना आदि सदाचार के गुण उत्पन्न होते हैं । परिवार, समाज तथा राष्ट्र की उन्नति के लिए प्रत्येक मनुष्य में सदाचार के गुण अनिवार्य रूप से उत्पन्न किये जायें ।

दु:ख की बात है कि आज का वातावरण बहुत दूषित हो गया है । हिंसा तथा सेक्स से भरपूर फिल्में वातावरण को खराब कर रही हैं । बढ़ता हुआ अनीश्वरवाद भी सदाचार के पथ में बाधा है । सदाचार का विचार पूर्ण रूप से भारतीय है ।

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सद्व्यवहार पर निबंध / essay on good behavior in hindi

आपको अक्सर स्कूलों में निबंध लिखने को दिया जाता है। ऐसे में हम आपके लिए कई मुख्य विषयों पर निबंध लेकर आये हैं। हम अपनी वेबसाइट istudymaster.com के माध्यम से आपकी निबंध लेखन में सहायता करेंगे । दोस्तों निबंध लेखन की श्रृंखला में हमारे आज के निबन्ध का टॉपिक सद्व्यवहार पर निबंध / essay on good behavior in hindi है। आपको पसंद आये तो हमे कॉमेंट जरूर करें।

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रूपरेखा—(1) प्रस्तावना, (2) सज्जन-दुर्जन, (3) सद्व्यवहार का प्रभाव, (4) उपसंहार।

प्रस्तावना –

संसार में दो प्रकार के मनुष्य हैं—सज्जन और दुर्जन। सज्जन अच्छा व्यवहार करते हैं और दुर्जन बुरा व्यवहार करते हैं। ये अच्छे और बुरे व्यवहार हर व्यक्ति के द्वारा हर समय और हर स्थान पर किये जाते हैं। इन्हीं व्यवहारों को देखकर देखने वाले व्यवहार करने वालों को अच्छा-बुरा या सज्जन-दुर्जन कहते हैं।

सज्जन दुर्जन-

मानव संसार के सभी प्राणियों में सर्वश्रेष्ठ प्राणी है। वह विवेकशील और बुद्धिमान् है। उसमें सत् और असत् की पहचान करने की क्षमता होती है जो अन्य प्राणियों में नहीं मिलती। वह परोपकार की भावना से परिपूर्ण होता है। उसमें सहनशीलता, प्रेम तथा सद्भावना का आवास रहता है। इन सभी गुणों से परिपूर्ण व्यक्ति सज्जन कहलाता है। यदि समाज में रहने वाला कोई भी व्यक्ति अपने माता-पिता का आदर करता है, उनकी सेवा करता है, अपने बड़े भाई-बहिनों का सम्मान करता है एवं छोटे भाई-बहिनों की सहायता करता है, तो यह उसका सद्व्यवहार होगा। ऐसे व्यक्ति को हम सज्जन कहेंगे। इसके विपरीत जो अपने माता-पिता का अनादर करता है तथा ऐसे काम करता है, जिससे उनका अनादर होता है और उनकी आत्मा को दुःख होता है।

जो भाई-बहिनों से लड़ता झगड़ता है, उन्हें मारता-पीटता है, उनका हिस्सा हड़प लेता है, उसके ये सब काम बुरे हैं और हम उसे दुर्जन कहेंगे।  रेल में दो तरह के यात्री यात्रा कर रहे हैं। उनमें एक आदमी है जो है कि आराम किसी बूढ़े को खड़ा देखकर उसे अपनी जगह दे देता है और दूसरा यह चाहता से सोता रहूँ, चाहे बहुत से लोग खड़े रहें। जो बूढ़ों को, अपाहिजों को बच्चे सहित स्त्री को स्वयं कष्ट सहकर जगह देता है, उसकी लोग प्रशंसा करते हैं, किन्तु जो दूसरों को खड़ा देखकर सोता या लेटा रहता है, उसे लोग बुरा कहते हैं। इसी प्रकार का व्यवहार बस भी देखा जाता है।

लड़का-लड़की का विवाह हो रहा है। लड़की वाले ने यदि दहेज कम दिया तो लड़के वाला लड़के को विवाह- मण्डप से उठा लेता है और रूठ कर चल देता है। दहेज कम मिलने पर यदि लड़की को घर ले भी जाता है तो फिर पिता से धन मँगाने के लिए लड़की को तरह-तरह से कष्ट दिया जाता है और धन नहीं मिलता है तो उसे जला कर मार दिया जाता है। इन्हें ही दुर्जन कहते हैं। इसके विपरीत सज्जन किसी तरह का दहेज नहीं चाहता है। वह दूसरे की लड़की को अपनी लड़की समझकर उसे लाड़ प्यार से रखता है। बुरे व्यवहार करने वाले की निन्दा होती है और अच्छे व्यवहार करने वाले की प्रशंसा होती है।

सद्व्यवहार का प्रभाव – 

हमें चाहिए कि हम अच्छा व्यवहार करें। अच्छे व्यवहार करने वाले की सदा प्रशंसा होती है। अच्छे व्यवहार करने वाले का नाम अमर रहता है। बुरे काम करने वाले की सब निन्दा करते हैं। जिसकी निन्दा होती है, उससे सब लोग घृणा करते हैं। सद्व्यवहार बुरे से बुरे व्यक्ति को भी प्रभावित करता है। अतः हमें चाहिए कि हम सदा अच्छा व्यवहार करें, जिससे हमारे शरीर से, हमारे विचारों से समाज सुखी रहे और हमारा आदर सत्कार करे।

मनुष्य को संसार के अन्य जीवधारियों से श्रेष्ठ बनाने का श्रेय सद्विचारों को जाता है। हम जैसा सोचते हैं, वैसे ही बन जाते हैं, अतः हमें ऐसे साहित्य का पठन-पाठन करना चाहिए, जिससे हमारे अन्दर सद्विचारों का प्रादुर्भाव हो। उन्नति की एकमात्र सीढ़ी सद्विचार हैं। बुद्धिमान् मनुष्य को सद्विचार की पतवार से अपनी जीवनरूपी नौका को भवसागर से पार लगाने का करना चाहिए।

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सदाचार पर निबंध | Essay on Sadachar in Hindi

Essay on Sadachar in Hindi

सदाचार विषय पर हिंदी भाषा में निबंध | Essay on Sadachar (Good Behavior) in Hindi | Sadachar par Nibandh Hindi me

सदाचार शब्द संस्कृत के सत् और आचार शब्दों से मिलकर बना है. इसका अर्थ है सज्जन का आचरण अथवा शुभ आचरण. सत्य, अहिंसा, ईश्वर विश्वास, मैत्री भाव, महापुरुषों का अनुसरण करना आदि बाते सदाचार में गिनी जाती है. इस सदाचार को धारण करने वाला व्यक्ति सदाचारी कहलाता है. इसके विपरीत आचरण करने वाले व्यक्ति को दुराचारी कहते हैं.

सदाचार मनुष्य का लक्षण है. सदाचार को धारण करना मानवता को प्राप्त करना है. सदाचारी व्यक्ति समाज में पूजित होता है. आचारहीन का कोई भी सम्मान नहीं करता हैं. कोई भी उसका साथ नहीं देता हैं. वेद भी उनका कल्याण नहीं करते हैं इसलिए कहा गया है “आचारहीनं पुर्नान्त्ते वेदाः” अर्थात वेद भी आचार रहित व्यक्ति का उद्धार नहीं कर सकते हैं.

सच्चरित्रता

सदाचार का महत्व पूर्ण सच्चरित्रता है. सच्चरित्रता सदाचार का सर्वोत्तम साधन है. अंग्रेजी कहावत के अनुसार धन नष्ट हो जाए तो मनुष्य की विशेष हानि नहीं होती है. स्वास्थ्य बिगड़ जाने पर कुछ हानि होती है किंतु चरित्रहीन होने पर मनुष्य का सर्वस्व नष्ट हो जाता है. मनुष्य में जो कुछ भी मनुष्यत्व है, उसका प्रतिबिंब उसका चरित्र है. आचारहीन व्यक्ति तो निरा पशु या राक्षस के समान है. रावण के पास भी धन, वैभव और विद्या सब कुछ था किंतु अनाचार के कारण उसका सब कुछ नष्ट हो गया. महाभारत की एक कथा के अनुसार एक राजा का शील नष्ट हुआ तो उसका धर्म नष्ट हो गया. यस और लक्ष्मी उसका साथ छोड़ गए. भारत एवं पाश्चात्य के सभी विद्वानों ने शील, सदाचार और सच्चरित्रता को जीवन में सर्वाधिक महत्व दिया है.

सच्चरित्रता के लिए यह आवश्यक है कि भय की प्रवृत्ति पर नियंत्रण प्राप्त किया जाए तभी हमारे ह्रदय में ऊँचे आदर्श और स्वस्थ प्रेरणाएं पनप सकती हैं. जो भय के वश में होगा उसके चरित्र का विकास नहीं हो सकता हैं. जीवन में अच्छे चारित्रिक गुणों के विकास हेतु यह आवश्यक है कि स्वयं को बुरे वातावरण से दूर रखा जाए. अपने चरित्र निर्माण हेतु सदैव भले और बुद्धिमान लोगों का संगत करना चाहिए. बुरे लोगों का साथ छोड़कर अच्छे विचार मन में अनुग्रहित करना चाहिए. आदर्श चरित्र के लिए मन, वचन, और कर्म की एकरूपता का होना भी आवश्यक है. चरित्रवान व्यक्ति की कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं होता हैं. वे परोपदेशक नहीं होते हैं.

धर्म की प्रधानता

भारत एक आध्यात्मिक देश है. यहां की संस्कृति तथा सभ्यता धर्म प्रधान है. धर्म से मनुष्य की लौकिक एवं आध्यात्मिक उन्नति होती है. लोक और परलोक की भलाई धर्म से ही संभव है. धर्म आत्मा की उन्नति करता है उसे पतन की ओर ले जाने से रोकता है. इस प्रकार धर्म सदाचार का ही पर्यायवाची भी कहा जा सकता है. सदाचार में वह गुण है जो धर्म हमें हैं. सदाचार के आधार पर ही धर्म की स्थिति संभव है. जो आचरण मनुष्य को ऊंचा उठाया उसे चरित्रवान बनाए वह धर्म है वही सदाचार है. महाभारत में कहा गया है धर्म की उत्पत्ति आचार्य से ही होती है. शील, सत्य, भाषण, अहिंसा, क्षमा, करुणा और परोपकार जिनके सदाचार कहा जाता हैं, वही धर्म के प्रमुख गुण हैं. अतः सदाचार को धारण करना ही धर्म को धारण करना हैं.

शील सदाचार की शक्ति

शील मानसिक भूचाल के लियें अंकुश हैं. सदाचार मनुष्य की काम, क्रोध, मोह आदि बुराइयों से रक्षा करता है. अहिंसा की भावना सेमन की क्रूरता समाप्त होती है तथा उसमें करुणा, सहानुभूति एवं दया की भावना जागृत होती है. क्षमा, सहनशीलता आदि गुणों से मनुष्य का नैतिक उत्थान होता है तथा मनुष्य से लेकर पशु-पक्षी तक के प्रति उदारता की भावना पैदा होती है. इस प्रकार सदाचार का गुण धारण करने से मनुष्य का चरित्र उज्जवल होता है और उसमें कर्तव्यनिष्ठा पैदा होती है.

संपूर्ण गुणों का सार

सदाचार मनुष्य के संपूर्ण गुणों का सार है. जो उसके जीवन को सार्थकता प्रदान करता है. इसकी तुलना में विश्व का कोई भी मूल्यवान वस्तु नहीं टिक सकती है. सदाचार रहित व्यक्ति कभी पूजनीय नहीं हो सकता है. सदाचार ही मनुष्य को पूज्य बनाता है. सदाचार के बिना मनुष्य कभी भी अपने जीवन लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकता है. सत्य भाषण, उदारता, विशिष्टता, विनम्रता, सुशीलता, सहानुभूति आदि गुण जिस व्यक्ति में होते हैं, वह सदाचारी कहलाता है. उस व्यक्ति की समाज में प्रतिष्ठा होती है. उसे समाज ने आदर और सम्मान मिलता हैं.

उपसंहार(Conclusion)

वर्तमान युग में शिक्षा के प्रभाव से भारत के युवक-युवतियां सदाचार के महत्व को निरर्थक मानने लगे हैं तथा सदाचार विरोधी जीवन को अपना आदर्श मानते हैं. इसी कारण देश तथा समाज पतन की ओर जा रहा है. आसन की रक्षा हेतु युवा वर्ग को सचेत रहना चाहिए. उन्हें राम कृष्ण और गांधी के चरित्र को आदर्श मानकर न्यायप्रिय आचरण करना चाहिए. राष्ट्र का सच्चा निर्माण, सच्ची प्रगति तभी संभव है, जब प्रत्येक भारतवासी सदाचारी बनने का संकल्प लें.

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1 thought on “सदाचार पर निबंध | Essay on Sadachar in Hindi”

very nice essay thanks sir

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सदाचार पर निबंध Hindi Essay on Virtue, Good Behavior

सदाचार पर निबंध Hindi Essay on Virtue, Good Behavior

दुष्ट व्यक्ति भी अपनी व्यवहार कुशलता से शिष्ट प्रतीत हो सकता है। लेकिन कभी-कभी ऋषि भी अपने क्रोध के कारण अपनी शिष्ट मर्यादा का उल्लंघन कर जाते हैं जैसे दुर्वासा ऋषि ने सोच में डूबी हुई शकुन्तला को शाप दे डाला, परशुराम ने क्रोध में आकर इक्कीस बार पृथ्वी को क्षत्रिय से रहित कर दिया। अपने दुराचार के कारण इन्द्र महर्षि गौतम के कोप भाजन बने और उनकी पत्नी अहिल्या पाषाण प्रतिमा बनी, जिसका बाद में भगवान राम ने उद्धार किया। सदाचार की रक्षा करने के कारण युधिष्ठिर धर्मराज कहलाए। सत्य का निर्वाह करने के कारण हरिश्चन्द्र ‘सत्यवादी हरिश्चन्द्र’ कहलाए।

सदाचार के द्वारा ही व्यक्ति महान् बनता है। विश्व में प्रसिद्धि पाने वाले जितने भी महापुरुष हुए उन्होंने सदाचार का ही पालन किया था। जैसे – गुरू नानक , संत कबीर, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद , स्वामी रामदास, संत तुकाराम आदि।आधुनिक काल में मोरारजी देसाई, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, महात्मा गांधी , जय प्रकाश नारायण, जवाहर लाल नेहरू आदि नेताओं ने अपने सदाचार के कारण ही बड़े-बड़े आन्दोलनों का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया। विशाल जन समूह उनके पीछे ऐसे चलता था जैस बांध को तोड़कर जल बहा चला जाता है और किसी के रोके नहीं रुकता। आज भी टी.एन. शेषन और किरण बेदी ने अपनी सच्चरित्रता के कारण अपनी एक अलग छवि का निर्माण किया है। उनके समक्ष यह शासन वर्ग पंगु जान पड़ता है।

सदाचारी का प्रभाव इतना व्यापक और असरदार होता है कि उस के सम्पर्क में आने पर ही दुष्ट व्यक्ति भी सच्चरित्र बन जाता है। जैसे डाकू अंगुलीमाल महात्मा बुद्ध के सम्पर्क में आने पर उनका अनुयायी हो गया।

स्वावलंबन सदाचार का गुण है। स्वावलम्बी व्यक्ति में एक विशेष प्रकार का तेज होता है। उस के चेहरे पर चमक, मन में आत्म विश्वास और कुछ बनने की ललक होती है। यही सब चीजें उसे उसके लक्ष्य तक पहुँचाती हैं। आत्म विश्वासी एक अकेला व्यक्ति सुभाष चन्द्र बोस ‘आजाद हिन्द फौज’ लेकर भारत आया था। जिसने आजादी की लड़ाई लड़ी। अपना नाम भारत की आजादी के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित करा अमर हो गया।

सदाचार ही एक ऐसा गुण है जो मनुष्य को देवत्व की ओर ले जाता है। कहा भी गया है – “if character is lost everything is lost” इसका अर्थ है कि “धन गया तो कुछ नहीं गया, स्वास्थ्य गया तो कुछ  गया और चरित्र गया तो सर्वस्व चला गया।” सदाचारी व्यक्ति की समाज में इज्जत होती है।

हमारी संस्कृति ज्ञान को विशेष महत्व देती है। ज्ञानहीन पुरुष को भर्तृहरि ने पूँछ विहीन पशु की संज्ञा दी है। लेकिन ज्ञान से भी बढ्‌कर है चरित्र, शास्त्र कहता है कि दूसरों की स्त्री को माता और दूसरे के धन को मिट्‌टी का ढेला समझना चाहिए। लेकिन लंकापति रावण वेदों का ज्ञाता, शिव भक्त, यज्ञ करने वाला था फिर भी दूसरे की स्त्री को छल से हरण करके ले आया। उसकी इस गलती को भारतीय समाज ने आज तक क्षमा नहीं किया। उसका और उसके भाई कुम्भकर्ण और पुत्र मेघनाद का पुतला दशहरे वाले दिन जलाया जाता है। जिससे लोगों को शिक्षा मिले और वह ऐसी गलती को न दोहराएं।

सत्य बोलना भी सदाचार है। लेकिन ऐसा सत्य जिससे दूसरों को नुकसान न हो। उसके सत्य से किसी की जान चली जाए, ऐसा सत्य नहीं बोलना चाहिए। यदि डॉक्टर रोगी को पहले ही बता दे कि वह कुछ ही दिनों में मरने वाला है, तो यह सत्य सदाचार नहीं हैं। सत्य बोलो लेकिन अप्रिय सत्य मत करो। सत्य की परिभाषा समाज और परिस्थिति के अनुसार बदलती रहती है।

सदाचार सद्‌गुणों की खान है। सदाचारी व्यक्ति ही अपना और राष्ट्र का उत्थान कर सकता है। किसी भी राष्ट्र का इतिहास सदैव चरित्रवान् लोगों से प्रकाशित रहता है।

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सदाचार पर निबंध (Virtue Essay in Hindi)

जैसे की सच बोलना किसी व्यक्ति की पहचान बन जाती है, उसी प्रकार सदाचार भी आपको समाज में एक अलग नाम और पहचान दिलाता है। हम सदैव अच्छे गुणों को सीखने के लिये अग्रसित रहते हैं और हमे उन गुणों में सदाचार को भी जरुर शामिल करना चाहिए।

सदाचार पर छोटे-बडे निबंध (Short and Long Essay on Virtue in Hindi, Sadachar par Nibandh Hindi mein)

सदाचार पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

सदाचार एक ऐसा विषय है जो हर मनुष्य को जरुर सीखना चाहिए और इसकी उपयोगिता हर उम्र के लोगो को कही न कही जरुर होती है। एक बच्चे के चरित्र का निर्माण बचपन से ही होने लगता है और सबसे पहला जगह उसका घर होता है, उसके बाद वह स्थान जहाँ वो खेलता है और आस पास के लोग। बच्चे हर जगह से कुछ न कुछ सीखते रहते हैं इसलिये अभिभावकों को यह ध्यान देते रहना चाहिए की बच्चे कुछ गलत न सीखे।

सदाचार का महत्त्व

सदाचार का महत्त्व हमारे जीवन में बहुत अधिक होता है। कई बार लोग हमे हमारे नाम से अधिक व्यवहार से जानते हैं। जैसे की हम कही जा रहे हों तो रास्ते में कोई बीच में खड़ा हो, तो हम उसे डटने या उचें स्वर में बात करने से अच्छा है की नम्रता से बोले और हमारे बोलने के अंदाज मात्र से सामने वाला हमारे व्यहार का अंदाजा आसानी से लगा सकता है। सदाचार आपके व्यक्तित्व को परिभाषित करता है।

जीवन जीने का सही तरीका

कई बार लोगों को यह बात सताती है की जीवन को सही तरीके से कैसे जीया जाये? तो उत्तर यह है की एक व्यक्ति को अपने जीवन में अच्छा आचरण, वाणी में मधुरता और जीवन को सयंम के साथ जीना चाहिए। क्योंकि वो उसका व्यक्तित्व ही होता है जो अमर होता है और ये सदाचार के माध्यम से ही आता है। जीवन में पैसे बहुत लोग कमाते हैं परंतु नाम कम ही कमा पाते हैं।

सदाचार जीवन जीने का सही तरीका है और हम सबको इसका पालन करना चाहिए। आपके व्यवहार में शालीनता आपके जीवन को और आनंद से भर देती है। ऐसे लोगों से हर कोई बात करना चाहता है जिसका व्यवहार उत्तम हो। बच्चों को शुरू से सदाचार सिखायें और जीवन में नेक कर्म करने की प्रेरणा देते रहें।

निबंध – 2 (400 शब्द)

कहते हैं की यदि मनुष्य का कोई सबसे अच्छा मित्र हो सकता है तो वो है सदाचार। क्यों की यह कभी आपको धोका नहीं देगा और आजीवन एक पूंजी की तरह आपके साथ रहता है। सदाचार का अर्थ अपने बड़ो की बात मनना, अपने व्यवहार में मधुरता और दूसरों का निःस्वार्थ भाव से सेवा करना, आदि होता है। एक सदाचारी व्यक्ति सदैव जीवन में नाम कमाता है और उसे मरणोपरांत भी याद किया जाता है।

सदाचार का आपके जीवन पर पड़ने वाला प्रभाव

सदाचार आपके चरित्र निर्माण का सबसे महत्वपूर्ण माध्यम है। यह आपके जीवन को तो सुंदर बनता है ही, साथ ही आपके व्यक्तित्व को भी निखारता है। एक अच्छे आचरण वाले व्यक्ति की पूछ हर जगह होती है। कई बार किसी का आचरण कोई ऐसा कार्य करवा देता है की जिसकी उम्मीद न हो। हर किसी को यह जरुर सीखना चाहिए। एक सदाचारी सदैव सभी प्रकार के बुरे कर्मों जैसे की क्रोध, ईर्ष्या, आदि से दूर रहता है और उसका जीवन सदैव सुखमयी होता है। यह कभी आपमें घमंड नहीं आने देता और बेहद निर्मल एवं शांत स्वभाव का बनाता है।

जीवन का अलंकार है सदाचार

जीवन हर कोई जीता है पर लोगों में भेद किस प्रकार पता चलता है? लोगों में अंतर उनके व्यवहार, बोलने के तरीके से, वे किस प्रकार लोगो की सहायता करते हैं, इन सब बातों से लोगों में अंतर पता चलता है। और हम कभी भी किसी ऐसे व्यक्ति को ही याद करते हैं जो सदैव आपकी सहायता करतें हो, आपसे मृदु वाच्य बोलते हों। ये सभी गुण आपके व्यक्तित्व को और निखार देती हैं और आपके जीवन में अलंकर की तरह काम करती हैं।

हमारे इतिहास में ऐसे कई उदहारण हैं जो इस बात को प्रमाणित करते हैं जैसे की हमारे देश के बापू। भला गांधीज को कौन नहीं जनता, उन्होंने नैतिकता की शिक्षा दी और सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाया। हम सब आज भी उन्हें उनके सदाचार की लिये जानते हैं। इसके अलावा इतिहास में ऐसे कई नाम दर्ज हैं जो सदाचार के बहुत अच्छे उदहारण हैं।

हम यह कह सकते हैं की एक सदाचारी अच्छे आचरण का प्रत्यक्ष उदहारण होता है। जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाई आ जाये वे कभी पीछे नहीं भागते और डट कर मुसीबतों का सामना करते हैं। सदाचार कभी आपको मुसीबत में नहीं डालता, इस लिये अपने बच्चों को सदाचार अवश्य सिखाएं और उन्हें सदैव इसका पालन करने की सीख दें। उन्हें समाज के कल्याण का हिस्सा बनना सिखाएं और अपने जीवन का उद्देश्य केवल धन कमाना मात्र न रह कर जन हित में कुछ समय देना भी सिखाएं। यूं तो बच्चे जो देखते हैं वाही सीखते हैं, इस लिये आप भी इन बातों को प्रयोग में लायें और जीवन में कुछ अलग कर के जाएँ।

निबंध – 3 (500 शब्द)

वैसे देखा जाये तो सदाचार शब्द सत और आचार शब्द से मिल कर बना है। जिसका शाब्दिक अर्थ अच्छा और आचरण है। यह शब्द केवल अच्छे आचरण मात्र तक सीमित नहीं है, अपितु इसका अर्थ बहुत ही व्यापक होता है। सदाचरण आपके जीवन को सही गति और दिशा देता है, जो व्यक्ति को बहुत आगे ले जाता है। ऐसा व्यक्ति जीवन में कभी निराश नहीं होता। कई बार आपका व्यवहार आपके बिगड़े काम बना देता है। अर्थात हम यह कह सकते हैं की सदाचार किसी भी प्रकार से हानिकारक नहीं होता और हर व्यक्ति को इसे जरुर अपनाना चाहिए।

Essay on Virtue in Hindi

सदाचारी के गुण

एक सदाचारी कभी भी केवल अपने हित के बारे में नहीं सोचता, वह अपने साथ-साथ समाज के हित एवं कल्याण का अभिन्न हिस्सा बन जाता है। उनकी सोच स्पष्ट होती है, सदैव लोक कल्याण उनकी प्राथमिकता होती है, वे सम्पर्पण का भाव रखते हैं, सदैव सत्य के साथी होते हैं, जिनकी वाणी में शहद जैसी मिठास होती है, जो कुरूणा का सागर अपने साथ लिये फिरते है और आवश्कता पड़ने पर सदैव आपके साथ खड़े रहते हैं। हालांकि ऐसे लोग हमारे समाज में बहुत कम हैं, परंतु हैं, और हम इनकी संख्या बढ़ा सकते हैं वो भी स्वयं में ये परिवर्तन ला कर।

वे क्रोध, ईर्ष्या जैसे भावना से दूर रहते हैं और कभी किसी की बुराई करने में समय व्यतीत नहीं करते। वे किसी काम को छोटा नहीं समझते और हमेशा सबको आगे बढ़ने की शिक्षा देते हैं। वे सैदव सकारात्मक होते हैं और उनसे बात कर के हमरा भी नजरिया बदल जाता है। इतने गुणों के धनि व्यक्ति इतने आसानी से नहीं मिलते, इस लिये कोशिश करें की ऐसे विचारों को आप अपने जीवन में अवश्य लायें और दूसरों के लिये एक आदर्श आप भी बनें।

एक सदचारी व्यक्ति

एक सदाचारी व्यक्ति जीवन में सदैव आपकी मदद करता है अब वह किस रूप में आपसे मिलता है ये देखने वाली बात है;

  • एक मित्र के रूप में

यदि आपका मित्र सदाचारी है तो कभी भी उसका साथ न छोड़ें क्यों की वे खुद तो सत्य के राह पर चलते हैं ही साथ ही साथ आपको भी ले जाते हैं। आप यदि भटक भी जाएँ तो ये आपको भटकने नहीं देते और भगवन के किसी दूत की तरह आपका साथ देते हैं। इनमे छल नहीं होता और कभी भी आपसे आगे निकले के होड़ में आपका नुकसान नहीं करते। इस लिये ऐसे मित्र को कभी न छोड़ें।

  • एक गुरु के रूप में

वे आपके जीवन के सच्चे मार्गदर्शक बन जाते हैं और आपके सार्वंगिक विकास पर ध्यान देते हैं। कहने का अर्थ यह है की आप एक सदाचारी का साथ कभी न छोड़े और उनसे सीखे और अपने जीवन को भी उनके सदाचारी इत्र की तरह महकाएं।

सदाचार को अपने जीवन में अपनाना बहुत ही बड़ी बात है और यह अचानक नहीं आता इसके लिये एकांत में बैठ के मंथन करना पड़ता है। समाज को अपना परिवार समझना पड़ता है और इस प्रकार दूसरों की मदद कर के हम सदाचार का पालन कर सकते हैं और समाज में अपनी एक अलग पहचान बना सकते हैं।

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अच्छी आदतों का महत्व पर निबंध

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By विकास सिंह

Importance of good manners essay in hindi

खुशहाल, अनुशासित और शांतिपूर्ण जीवन जीने के साथ-साथ किसी भी क्षेत्र में सफलता पाने के लिए व्यक्ति के लिए अच्छे शिष्टाचार का होना बहुत आवश्यक है। शिक्षक आम तौर पर अपने छात्रों को कक्षा में परीक्षा या परीक्षा के दौरान कक्षा में अच्छे शिष्टाचार पर कुछ (पैराग्राफ, लघु निबंध या लंबे निबंध) लिखने के लिए कहते हैं।

अच्छी आदतों का महत्व पर निबंध, Importance of good manners essay in hindi (100 शब्द)

अच्छे तरीके का अर्थ है लोगों द्वारा विनम्र या अच्छी तरह से बंधे हुए सामाजिक व्यवहार का होना। जीवन में अच्छे शिष्टाचार रखना सामाजिक जीवन जीने के लिए बहुत मायने रखता है। यह विशेष रूप से बचपन से बच्चों में विकसित किया जाना चाहिए। अच्छी तरह से या बुरे तरीके से व्यवहार करना मानव स्वभाव और जीवन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है।

अच्छे शिष्टाचार हमें समाज में सम्मान और प्रतिष्ठा दिलाने में मदद करते हैं जबकि बुरे शिष्टाचार हमें बदनाम करते हैं। अच्छे शिष्टाचार हमें अच्छी आदतों को विकसित करने में मदद करते हैं जो व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक और सामाजिक कल्याण (इस प्रकार समाज का समग्र विकास) में सुधार करते हैं। एक अच्छा व्यवहार करने वाला व्यक्ति, सभी अच्छे शिष्टाचार रखने वाला, समाज का महत्वपूर्ण नागरिक बन जाता है क्योंकि वह कभी भी दूसरों की भावनाओं को ठेस नहीं पहुँचाता है।

अच्छी आदतों का महत्व पर निबंध, 150 शब्द:

अच्छा तरीका उस व्यक्ति का अच्छा व्यवहार है जो दूसरों पर अच्छा प्रभाव डालता है और साथ ही अपने बारे में अच्छा एहसास और आत्मविश्वास देता है। अच्छे शिष्टाचार का अभ्यास करना हम सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और यह अच्छा है अगर हम इसे बचपन से माता-पिता और अभिभावकों की मदद से करें। हमें सभी अच्छे शिष्टाचारों का पालन करना चाहिए चाहे हम घर, स्कूल, कॉलेज, कार्यालय, पर्यटन स्थलों पर हों या दोस्तों के साथ।

अच्छे शिष्टाचार दरवाजे खोलने और धन्यवाद नोट लिखने से अधिक हैं। दूसरों के प्रति विनम्र और विनम्र होना हमारे वास्तविक व्यवहार, सोच और मन के स्तर को दर्शाता है। यह लोगों के मन और ध्यान को आकर्षित करता है यदि उन्हें हमसे सम्मान मिलता है। एक अच्छा व्यवहार करने वाला व्यक्ति होने के नाते, हम दूसरों के लिए भी एक मानक निर्धारित करते हैं जो उन्हें अच्छे तरीके से अभ्यास करने और अच्छा व्यवहार करने के लिए प्रोत्साहित करता है। सभी के लिए सभी अच्छे शिष्टाचारों का पालन करना आसान नहीं है, लेकिन अच्छी तरह से अभ्यास करने के बाद आसानी से पालन किया जा सकता है।

अच्छी आदतों का महत्व, 200 शब्द:

मनुष्य को पृथ्वी पर ईश्वर की सबसे बुद्धिमान रचना माना जाता है क्योंकि वह समाज में रहता है और साथ ही उसके अनुसार सोचने, बात करने और कार्य करने की क्षमता रखता है। इसलिए, उसे पता होना चाहिए कि समाज में दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करने के लिए अच्छे व्यवहार और अच्छे व्यवहार का अभ्यास कैसे करें।

माता-पिता को अपने बच्चों को यह सिखाना चाहिए कि उन्हें परिवार के सदस्यों, पड़ोसियों, शिक्षकों आदि के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए और दूसरों के विचारों का सम्मान करना चाहिए। एक अच्छा व्यवहार करने वाला व्यक्ति होने के नाते, विनम्र, कोमल, अनुशासित और मधुर होना चाहिए। कुछ लोग केवल मीठे शब्दों के साथ सामने वाला अच्छा व्यवहार करते हैं लेकिन जब तक वे बुरा नहीं बोलते हैं, वह अच्छा तरीका नहीं है।

अच्छे शिष्टाचार व्यक्ति को एक ही चरित्र दिखाने में मदद करते हैं; दोनों, लोगों के सामने और पीछे। एक अच्छे व्यवहार वाले व्यक्ति के शब्द और व्यवहार कभी भी नहीं बदलते हैं और सभी परिस्थितियों में समान रहते हैं। अच्छी तरह से संचालित लोगों को अच्छी तरह से पता है कि मीठे शब्दों के साथ कड़वे सच को कैसे दिखाना या समझाना है। जिन लोगों में आम तौर पर अच्छे शिष्टाचार की कमी होती है, उनमें तेज और चतुर जीभ होती है। बुरे लोग हमेशा बिना किसी कारण के दूसरों के साथ बुरा व्यवहार करते हैं। वे समाज में बुरा व्यवहार करने से कभी नहीं हिचकते। वे दिखाते हैं कि उनके पास एक अच्छी संस्कृति, समाज और अनुशासन की कमी है, इसलिए वे हर जगह नफरत करते हैं। और अच्छे व्यवहार वाले लोगों को हर जगह सम्मानित किया जाता है।

अच्छी आदतों का महत्व पर निबंध, 250 शब्द:

प्रस्तावना:.

अच्छे तरीके को समाज में रहने वाले लोगों के प्रति सही सार्वजनिक व्यवहार दिखाने के लिए शिष्टाचार और विनम्रता के साथ अच्छा व्यवहार करने के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। कुछ अच्छे शिष्टाचार विनम्र, विनम्र, विनम्र, सम्मानजनक और कुछ लोगों में सुसंस्कृत सामाजिक व्यवहार की तरह होते हैं।

किसी भी पुरुष या महिला को उसके अच्छे शिष्टाचार से समाज में प्रतिष्ठित और मान्यता प्राप्त है। एक व्यक्ति को समाज में न केवल उसकी बुद्धिमत्ता के लिए बल्कि उसके व्यवहार और शिष्टाचार के लिए भी जाना जाता है।

हमारे जीवन में अच्छे शिष्टाचार का महत्व:

अच्छे शिष्टाचार हमारे दैनिक में बहुत महत्वपूर्ण हैं और हर माता-पिता को अपने बच्चों को जीवन में अच्छे शिष्टाचार और उनके महत्व को सिखाना चाहिए। अच्छे शिष्टाचार के लिए दोस्तों के साथ एक प्रभावी बातचीत बनाने के साथ-साथ उन पर एक अच्छी छाप बनाने की आवश्यकता होती है।

यह हमें दिन भर सकारात्मक बने रहने में मदद करता है। हमें “खुश”, “कृपया”, “धन्यवाद”, “मुझे माफ करना” आदि जैसे जादुई शब्दों का उपयोग करना चाहिए, जब भी एक खुश रिश्ते को बनाए रखने के लिए देर किए बिना आवश्यक हो। माता-पिता को अपने बच्चों को रोजमर्रा की जिंदगी में अच्छा व्यवहार करने के लिए अनिवार्य रूप से ऐसे शब्दों का अभ्यास करने में मदद करनी चाहिए। ये शब्द लोगों के लिए खेद, खुशी, प्रशंसा और सम्मान की भावना को दर्शाते हैं।

अच्छे तरीके से लोगों के साथ नई बातचीत और जीवन में अवसरों के द्वार खुलते हैं। यदि कोई आपसे अशिष्टता से बात करता है, तो उससे अपनी तरह से बात न करें, बस उसे अपने व्यवहार के तरीके से बात करने के साथ-साथ अशिष्टता भी अशिष्टता पैदा करती है।

निष्कर्ष:

अच्छे शिष्टाचार का अभ्यास करना समाज में एक महान और महान व्यक्तित्व होना आवश्यक है। यह हमारी आत्मा और मन में सकारात्मकता बनाए रखता है। हमारा अच्छा व्यवहार हमारे चरित्र के आदर्श को दर्शाता है। हमें सकारात्मक सहभागिता बनाने के लिए लोगों के प्रति सम्मान और श्रद्धा दिखानी चाहिए।

अच्छी आदतों का महत्व पर निबंध, 300 शब्द:

जीवन में अच्छे शिष्टाचार बहुत आवश्यक हैं क्योंकि वे हमें समाज में लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करने में मदद करते हैं और साथ ही हमें सहज, आसान और सकारात्मक संबंध बनाए रखने में मदद करते हैं। अच्छे शिष्टाचार हमें भीड़ में लोगों का दिल जीतने में मदद करते हैं और हमें एक अद्वितीय व्यक्तित्व प्रदान करते हैं। अच्छा तरीका हमें प्रकृति को खुश करने और पालन करने का व्यक्ति बनाता है, जो वास्तव में समाज में सभी द्वारा प्यार और सराहना की जाती है।

अच्छे शिष्टाचार क्या हैं:

अच्छे शिष्टाचार वाला व्यक्ति आसपास रहने वाले लोगों की भावनाओं और भावनाओं के प्रति सम्मान दिखाता है। वह कभी भी लोगों को अलग नहीं करता है और सभी के लिए समान सम्मान और दया दिखाता है चाहे वह उससे बड़ा हो या छोटा। शील और शिष्टाचार एक अच्छे व्यवहार करने वाले व्यक्ति के आवश्यक लक्षण हैं।

वह कभी भी गर्व या अभिमानी महसूस नहीं करता है और हमेशा दूसरे लोगों की भावनाओं का ख्याल रखता है। अच्छे शिष्टाचार का अभ्यास करना और दिन भर इनका पालन करना, धूप लाता है और जीवन में गुणों को जोड़ता है। वह / वह हमेशा मानसिक रूप से खुश हो जाती है क्योंकि अच्छे शिष्टाचार उसके व्यक्तित्व को समृद्ध करते हैं।

सभी छात्रों को अच्छे शिष्टाचार सिखाना उनके लिए और माता-पिता और शिक्षकों के लिए देश के लिए एक वरदान है क्योंकि वे उज्ज्वल भविष्य हैं। देश के युवाओं में अच्छे शिष्टाचार का अभाव उन्हें गलत राह पर ले जाता है। अच्छे शिष्टाचार का अभ्यास करने में कुछ भी खर्च नहीं होता है बल्कि जीवन भर हमें बहुत कुछ देना पड़ता है।

कुछ अच्छे शिष्टाचार इस प्रकार हैं:

  • धन्यवाद: जब भी हम किसी से कुछ प्राप्त करते हैं, तो हमें आपको धन्यवाद कहना चाहिए।
  • कृपया: हमें दूसरों से किसी चीज़ के लिए अनुरोध करते समय कहना चाहिए।
  • हमें हमेशा ऐसे लोगों का समर्थन करना चाहिए जो दर्द में हैं।
  • हमें हमेशा गलतियों को स्वीकार करना चाहिए और बिना किसी हिचकिचाहट के खेद व्यक्त करना चाहिए।
  • हमें दैनिक जीवन में अनुशासित और समय का पाबंद होना चाहिए।
  • हमें हमेशा अपने अच्छे व्यवहार और गुणों के लिए दूसरों की तारीफ करनी चाहिए।
  • हमें उन लोगों की बात बहुत ध्यान से सुननी चाहिए जो हमसे बात कर रहे हैं।
  • हमें किसी और की चीजों को छूने या उपयोग करने से पहले अनुमति लेनी चाहिए।
  • हमें हमेशा अन्य सवालों के जवाब में मुस्कुराहट के साथ जवाब देना चाहिए।
  • हमें बड़ों की सभा के बीच में कभी व्यवधान नहीं डालना चाहिए और अपनी बारी का इंतजार करना चाहिए।
  • हमें बड़ों (चाहे परिवार, रिश्ते या पड़ोसी), माता-पिता और शिक्षकों के प्रति सम्मान होना चाहिए।
  • एक्सक्यूज़ मी: किसी चीज़ के लिए ध्यान आकर्षित करते समय हमें एक्सक्यूज़ मी कहना चाहिए।
  • हमें दूसरे के घर या बेडरूम में प्रवेश करने से पहले दरवाजा खटखटाना चाहिए।

अच्छे शिष्टाचार हमारे लिए जीवन में लोकप्रियता और सफलता पाने के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि कोई भी शरारत करने वाले व्यक्ति को पसंद नहीं करता है। अच्छे शिष्टाचार समाज में रहने वाले लोगों के लिए टॉनिक की तरह होते हैं क्योंकि उनका अभ्यास करने से कुछ नहीं होता बल्कि जीवन भर लाभ होता है।

विनम्र और सुखद स्वभाव वाले लोग हमेशा बड़ी संख्या में लोगों द्वारा पूछे जाते हैं क्योंकि वे उन पर चुंबकीय प्रभाव डालते हैं। इस प्रकार, हमें अच्छे शिष्टाचार का अभ्यास करना चाहिए।

अच्छी आदतों का महत्व पर निबंध, Importance of good habits essay in hindi (400 शब्द)

समाज में रहने वाले लोगों के लिए अच्छा तरीका बहुत महत्वपूर्ण है। लोगों को घर, स्कूल, कार्यालय या अन्य स्थानों पर कई तरीकों से अच्छे व्यवहार से लाभान्वित किया जा सकता है। अच्छे शिष्टाचार वाले लोगों में शिष्टाचार, राजनीति और दूसरों के प्रति सम्मान होना चाहिए और खुद भी।

अच्छा तरीका वह है जो हम दूसरों के साथ विनम्र सम्मान के साथ अच्छा व्यवहार करते हैं। बुरा बर्ताव कभी भी ख़ुद और दूसरों को ख़ुशी नहीं देता। ज़रा सोचिए कि जब कोई हमारे दोस्त से बात कर रहा हो और हम पर अपनी नज़रें घुमा रहा हो तो हम कितना दुखी और असम्मानित महसूस करेंगे।

अच्छे व्यवहार वाले लोगों को हमेशा पसंद किया जाता है और उन्हें समाज में सम्मान और प्रसिद्धि मिलती है क्योंकि वे सभी के साथ समान व्यवहार करते हैं (अच्छा या बुरा)। वे दूसरे लोगों की भावनाओं पर विचार करते हैं और हमेशा दयालु बनते हैं।

शिक्षक कक्षा में अपने छात्रों को अच्छे शिष्टाचार का पाठ पढ़ाते हैं और उन्हें हमेशा के लिए सभी स्थानों पर चलने का निर्देश देते हैं। माता-पिता को भी घर पर अपने बच्चों को अच्छे ढंग से सीखने में मदद करनी चाहिए क्योंकि बच्चे बचपन में जो सीखते हैं वह जीवन भर चलता है।

हमें पहले दूसरों से वैसा ही व्यवहार करना चाहिए जैसे हम दूसरों से बदले में चाहते हैं। गोल्डन रूल के अनुसार “हमें लोगों के साथ वैसा ही व्यवहार करना चाहिए जैसा हम अन्य लोगों से चाहते हैं कि वे हमारे साथ व्यवहार करें”। अगर हम लोगों के साथ आदर से पेश आते हैं, तो हम भी उनके साथ उसी तरह पेश आएंगे।

हर जगह अच्छे शिष्टाचार के बाद, हम बेहतर ढंग से लोगों को हर किसी के साथ उसी तरह से व्यवहार करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं। कुछ महत्वपूर्ण अच्छे शिष्टाचार जिन्हें हम अपने दैनिक जीवन में अभ्यास कर सकते हैं, जैसे:

  • हमें दूसरों को चीजें साझा करने (लेकिन हथियाने की नहीं) की आदत सीखनी चाहिए।
  • हमें सभी स्थानों पर दूसरों के लिए मददगार, विनम्र और विनम्र होना चाहिए।
  • हमें सॉरी ’,’ कृपया ’,’ थैंक यू ’,‘ एक्सक्यूज़ मी ’आदि जब भी आवश्यकता हो, इनका उपयोग करना चाहिए।
  • हमें दूसरों की संपत्ति का सम्मान करना चाहिए और उपयोग करने से पहले हमेशा अनुमति लेनी चाहिए।
  • हमें अपने परिवार के सदस्यों को उनके कामों को पूरा करने में मदद करनी चाहिए।
  • हमें घर में या घर के बाहर हर चीज के लिए जिम्मेदार और आत्म निर्भर होना चाहिए।
  • हमें अपने शिक्षकों, माता-पिता, अन्य बुजुर्गों और वरिष्ठ नागरिकों के साथ विनम्र व्यवहार करना चाहिए।
  • हमें बड़ी-बड़ी बातों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए और अपनी बारी का इंतजार करना चाहिए।
  • जब कोई अंदर आ रहा हो तो हमें दरवाजा खुला रखना चाहिए और अगर वह कुछ ले जा रहा है तो उसे अपना लोड पकड़ना चाहिए।
  • हमें घर, स्कूल और अन्य सभी सार्वजनिक स्थानों पर स्वच्छता बनाए रखना चाहिए।
  • हमें घर या सार्वजनिक स्थान पर दूसरों के लिए आपत्तिजनक भाषा का उपयोग नहीं करना चाहिए।
  • हमें सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करते समय वरिष्ठ नागरिकों के लिए सीट छोड़नी चाहिए।
  • हमें कभी किसी का मजाक नहीं बनाना चाहिए क्योंकि सभी की भावनाएं और सम्मान हैं।
  • हमें समूह या सार्वजनिक स्थान पर रहते हुए अनावश्यक रूप से मोबाइल फोन का उपयोग नहीं करना चाहिए।
  • हमें भोजन ठीक से चबाना चाहिए और भोजन करते समय किसी से बात नहीं करनी चाहिए।
  • अच्छे शिष्टाचार का पालन करने से न केवल लोगों के मन में सम्मान बढ़ता है, बल्कि यह हमें अंदर से सुखद भी बनाता है। यह समाज, स्कूल, खेल टीम, दोस्तों के समूह और परिवार में अच्छी छाप बनाता है। जीवन दिन-प्रतिदिन और अधिक सुखद होता जाता है।
  • अच्छे शिष्टाचार का अभ्यास करने से जीवन भर कुछ नहीं मिलता है। हमें अच्छे शिष्टाचार का अभ्यास करना चाहिए और साथ ही दूसरों को अपने, परिवार, समाज और राष्ट्र के कल्याण के लिए अभ्यास करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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अच्छी आदतों पर निबंध Essay on good habit in hindi

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अच्छी आदतों पर निबंध

अच्छी आदतें क्या है what is good habit  

अच्छी आदतों पर निबंध  - मनुष्य एक सामाजिक प्राणी (Social animal) है और समाज के बिना मनुष्य का कोई अस्तित्व ही नहीं है। इसलिए मनुष्य समाज में रहता है

और समाज में सभी लोगों के साथ सामाजिक सम्बंधो में बंधा रहता है, किन्तु समाज में रहने के लिए सभी लोगों के पास गुणों का होना बहुत ही जरूरी है, किन्तु वे गुण अच्छे होने चाहिए, कियोकि 

अच्छे गुण वे गुण है, जो मनुष्य को समाज में रहने के योग्य बनाते हैं और इन्हीं गुणों को आमतौर पर अच्छी आदतें कहा जाता है।

अच्छी आदतें बचपन से ही बच्चों में आनी शुरू हो जाती हैं, अर्थात बाल्यावस्था में अच्छे गुण स्थायी रूप से विकसित होते है, इसलिए बच्चे के  माता-पिता, दादा-दादी, नाना-नानी  तथा समाज का यह कर्तव्य होता है कि वह बच्चों को अच्छी आदतें सिखाएँ 

जिससे समाज में उनकी पहचान हो वे एक गुणवान और अच्छे इंसान बन सके तथा समाज और देश की उन्नति में अपना सहयोग दे सके। छोटे-छोटे बच्चों के लिए अच्छी आदतों में जैसे बड़ों का  सम्मान करना, उनके पैर छूना, सच बोलना बड़ो की 

बातों को मानना, मुख्यतः देखी जाती हैं, जो उन्हें अपने माता-पिता तथा समाज (Society) और परिवार (Family) के लोगों से प्राप्त होती हैं।

अच्छे मनुष्य के लिए अच्छी आदतें बहुत ही महत्वपूर्ण होती है, जिससे मनुष्य आदर्श गुणवान और एक विश्वसनीय प्राणी बनाता है।

इसलिए अच्छी आदतें होना बहुत ही जरूरी है, क्योंकि अच्छी आदतें ही मनुष्य को ना ही अच्छा गुणवान व्यक्ति बनाती हैं, बल्कि एक स्वास्थ्य और अच्छा शरीर भी प्रदान करती हैं, जिससे मनुष्य रोग मुक्त भी रहता है।

अच्छी आदतों पर निबंध

अच्छी आदतों का विकास Development of good habit 

अच्छी आदतें समाज (Society) में रहने योग्य बनाती है, इसलिए सभी लोगों में अच्छी आदतें होनी चाहिए और अच्छी आदतों का विकास बाल्यावस्था (Childhood) में होता है।

बच्चों में अच्छी आदतें उन्हें दयालु उनके ह्रदय में करुणा प्रेम तथा जोश भरने के लिए उन्हें बचपन से ही वीर पुरषों की कहानियाँ सुनाना चाहिए।

बच्चों में अच्छा बोलचाल लाने के लिए हमें स्वयं अच्छा बोलना चाहिए कियोकि बच्चा अनुकरण (Simulation) से सीखता है। इसके साथ ही बच्चों को धार्मिक नाटक आदि दिखाकर उनमें अच्छी आदतें विकसित कर सकते है।

अच्छी आदतों का महत्व Importance of good habit 

अच्छी आदतों का अर्थ ही होता है, कि मनुष्य के वे गुण  जिसके द्वारा वे अन्य प्राणियों से परस्पर मैत्रीपूर्ण संबंध बनाते हैं, एक दूसरे की मदद करने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं, वही सब अच्छी आदतें होती हैं। 

अच्छी आदते ही मनुष्य को जीवन जीने की राह तथा भविष्य में सफलता (Success) पाने का रास्ता प्रदान करती हैं, कियोकि इनके द्वारा मन नियंत्रित चित्त प्रसन्न रहता है।

इसलिए मनुष्य के जीवन में अच्छी आदतों का महत्व एक अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।  अच्छी आदतें मनुष्य को समाज में सम्मान और प्रतिष्ठा दिलाने का काम करती हैं, तो वही समाज में संपन्न तथा विपत्ति काल में मदद प्राप्त करने में सहयोगी होती हैं।

अच्छी आदतों के कारण ही मनुष्य के शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक आदि पहलुओं का भी विकास होता है और वह समाज का एक शिष्टाचारी तथा सबसे प्रतिष्ठित व्यक्ति भी बन जाता है।

इसलिए हर माता-पिता को अपने बच्चों को यह सिखाना चाहिए, कि वह अपने शिक्षकों, बड़े बुजुर्गों आदि के साथ अच्छे प्रकार का व्यवहार करें, दूसरों को बड़ों को सम्मान दें तो छोटों को स्नेह

और प्यार प्रदान करें, पशु पक्षियों के प्रति दया भावना रखें, स्वयं अनुशासित रहें और दूसरों को अनुशासन की शिक्षा भी प्रदान करें, इन सभी की मनुष्य के जीवन में एक अहम् भूमिका है।

सुबह की अच्छी आदतें Good habit of morning  

  • सबसे पहले सुबह उठकर धरती माँ के पैर छूना चाहिए उनका धन्यवाद करना चाहिए।
  • माता पिता तथा बड़े बुर्जगों के पैर छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए।
  • गृहणियों को घर की सफाई झाडू पोंछा करना चाहिए तथा बुजुर्गो की सेवा करनी चाहिए।
  • सुबह सबको फ्रेश होना चाहिए, दातों की सफाई करनी चाहिए फिर नहाकर मंदिर जाकर भगवान से प्रार्थना करनी चाहिए।
  • सुबह सभी को पौष्टिक नाश्ता तथा बच्चों को गाय या भैस का दूध पीना चाहिए और विद्यालय जाना चाहिए।
  • ग्रहणियों को सुबह नहा कर पूजा करकर सभी के लिए खाना बनाना चाहिए, उन्हें खाना परोसना चाहिए, बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करना चाहिए।

छात्रों के लिए अच्छी आदतें Good Habit for Student 

  • अपने कमरे तथा आसपास को साफ स्वच्छ रखें-  एक अच्छे विद्यार्थी के लिए सबसे अच्छी आदत है, साफ सफाई का विशेष ध्यान देना   इसलिए विद्यार्थी को अपने आसपास अपने घर और अपने रूम की अच्छे से साफ सफाई करनी चाहिए क्योंकि जहाँ स्वच्छता का वास होता है, वहीं पर ही बुद्धि का वास होता है।
  • सुबह जल्दी उठे - सुबह जल्दी उठना विद्यार्थी के लिए उतना ही लाभदायक है जितना अपने शरीर की केयर करना इसलिए   विद्यार्थी को एक पर्याप्त नींद लेने के पश्चात सुबह जल्दी उठना चाहिए और अपनी नित्य प्रति के काम सब निपटा कर अपने अध्ययन पर केंद्रित हो जाना चाहिए।
  • नियमित स्कूल जाएँ  - विद्यार्थी के लिए सबसे अच्छी आदत है, नियमित स्कूल जाना विद्यार्थी के पास सर्वाधिक विकास करने के लिए सबसे बड़ा अवसर होता है, नियमित स्कूल जाना  क्योंकि स्कूल के बिना शिक्षा अधूरी है और शिक्षा के बिना इंसान अधूरा है। अतः विधार्थियो को नियमित विद्यालय जाकर अपनी शिक्षा पर ध्यान देना चाहिए। विद्यालय में विधार्थी का सर्वागीण विकास होता है। 
  • नियमित पढ़ना -  विद्यार्थी को नियमित पढ़ना भी चाहिए। यह विधार्थी की सबसे बड़ी और अच्छी आदत होती है और यही आदत व्यक्ति को सफल बनाती है,  क्योंकि कहा जाता है:- करत - करत अभ्यास जड़मति होत सुजान अध्ययन करने से हम एक अच्छे विषय के ज्ञाता बन सकते हैं।
  • अपनी पाठ्य पुस्तक और किताबों की देखभाल करना-  विद्यार्थी को अपनी पाठ्यपुस्तक और किताबों की भली-भांति देखभाल करना चाहिए।  उन्हें फाड़ना नहीं चाहिए, क्योंकि पाठक पुस्तक और किताबों से ही ज्ञान प्राप्त होता है, क्योकि किताबे पाठय पुस्तकें ही ज्ञान प्राप्ति का स्रोत हैं।
  • अच्छे दोस्तों की संगति करें - विद्यार्थी को केवल अच्छे  ही दोस्तों से दोस्ती करना चाहिए जो दूसरों को सम्मान देते हो उनकी बात मानते हो, और अपनी स्टडी में भी ध्यान देते हो।
  • खाने पीने पर विशेष ध्यान - विद्यार्थी को खाने-पीने पर विशेष ध्यान देना चाहिए। विधार्थी को सही समय पर पोष्टिक आहार लेना चाहिए। क्योंकि संतुलित आहार विद्यार्थी के सभी अंगों को विकास प्रदान करता है। 
  • बड़े बुजुर्गों का सम्मान करना - विद्यार्थी की सबसे अच्छी आदत है, कि वह बड़े बुजुर्गों का सम्मान करें अपने शिक्षकों को आदर दे, उनका कहना माने जिससे उनके व्यक्तित्व का भी विकास होता है।

निष्कर्ष Conclusion 

दोस्तों आपने इस लेख में  अच्छी आदतों पर निबंध  (Essay on good habit) पड़ा अच्छी आदतें मनुष्य को एक प्रतिष्ठित व्यक्ति बनाती हैं

इसलिए सभी व्यक्तियों में महत्वपूर्ण अच्छी आदतें होनी चाहिए क्योंकि आजकल सभी लोग सम्मान पाना चाहते हैं, तो अच्छी आदतें होना भी जरूरी है।

FAQs for Good Habit

Q.1. आदत कितने प्रकार के होते हैं.

Ans. आदतें दो प्रकार की होती है अच्छी आदतें जिन्हे दूसरों और खुद का लाभ होता है और बुरी आदतें जिनसे दूसरों और खुद को हानि होती है।

Q.2. हमारी बुरी आदत क्या है?

Ans. हमारी वे सभी बुरी आदतें है, जिनसे हमें प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तरीके से किसी ना किसी प्रकार की हानि होती है।

Q.3. बच्चों को अच्छी आदत कैसे सिखाएँ

Ans. बच्चों को अच्छी आदतें सिखाने में सबसे आधिक अनुसरण का महत्व होता है, अर्थात बच्चें देखकर सीखते है, इसलिए आप स्वयं में अच्छी आदतों का विकास करें जिनको आपके बच्चें अनुसरण करके सीखेंगे।

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Wednesday, April 3, 2019

Essay on good manners in hindi in 100 words, essay on good manners in hindi | 100 words, शिष्टाचार पर निबंध.

good behavior essay in hindi

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good behavior essay in hindi

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